GK TRICK से भारत के पिथौरागढ़ व तिब्बत के बीच दर्रे को याद कैसे करें। sarkari tricks.com

भारत के पिथौरागढ़ व तिब्बत के बीच दर्रे– लेगा दान माला लाऊ sarkari tricks.com
TRICK | BRIEF |
लेगा | लेगा-लिपुलेख गुंजी |
दान | दान-दारमा नवीधुरा |
माला | माला-मानस्या लम्पिया |
लाऊ | लाऊ-लेविधुरा ऊंटा जयंती |
पिथौरागढ़ और तिब्बत के बीच स्थित दर्रे न केवल भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी उनका विशेष स्थान है। भारत के उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं मंडल में स्थित पिथौरागढ़ जनपद, हिमालय की गोद में बसा एक सीमावर्ती क्षेत्र है, जो तिब्बत (अब चीन के अधिकार क्षेत्र में तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र) से सटा हुआ है। इस क्षेत्र में कई प्राचीन दर्रे (Passes) हैं, जो प्राचीन काल से ही भारत और तिब्बत के बीच आवागमन, व्यापार और सांस्कृतिक विनिमय के मार्ग रहे हैं। sarkari tricks.com
1. लिपुलेख दर्रा (Lipulekh Pass)
लिपुलेख दर्रा सबसे प्रमुख और प्रसिद्ध दर्रा है जो पिथौरागढ़ जिले के धारचूला तहसील में स्थित है। यह दर्रा भारत, नेपाल और तिब्बत (चीन) की त्रिकोणीय सीमा पर स्थित है। यह दर्रा कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए एक प्रमुख मार्ग है, जिसे भारत सरकार द्वारा अनुमति प्राप्त तीर्थयात्रियों के लिए खोला जाता है।
लिपुलेख दर्रा समुद्र तल से लगभग 16,750 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। यह भारत और तिब्बत के बीच प्राचीन व्यापार मार्ग का हिस्सा रहा है, जहाँ से नमक, ऊन, मसाले और अन्य वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। सामरिक दृष्टि से भी यह दर्रा बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारतीय सेना और आईटीबीपी की तैनाती का एक प्रमुख केंद्र है। हाल ही में भारत सरकार ने इस दर्रे तक सड़क निर्माण भी पूर्ण किया है, जिससे रणनीतिक महत्त्व और तीर्थ यात्रा दोनों को सुगमता मिली है।
2. लम्पिया धुरा दर्रा (Limpiyadhura Pass)
लम्पियाधुरा दर्रा भी पिथौरागढ़ जिले में स्थित है और इसे भारत-नेपाल-तिब्बत सीमा विवाद में एक मुख्य बिंदु माना जाता है। यह दर्रा भी ऐतिहासिक रूप से व्यापार मार्ग रहा है और भारत-तिब्बत के बीच संपर्क का माध्यम रहा है। भारत का दावा है कि लिपुलेख, लम्पियाधुरा और कालापानी क्षेत्र उसका अभिन्न अंग हैं, जबकि नेपाल इस पर आपत्ति जताता है।
लम्पियाधुरा दर्रे की भौगोलिक स्थिति इस क्षेत्र को रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण बनाती है। इसके पास से काली नदी (महाकाली) निकलती है, जिसे भारत और नेपाल के बीच सीमा निर्धारण का आधार माना जाता है।
3. दारमा घाटी और नाभी दर्रे (Darma Valley and Nabi Passes)
पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी में भी कुछ छोटे लेकिन ऐतिहासिक महत्त्व वाले दर्रे हैं, जैसे नाभी दर्रा, मारछा दर्रा, आदि। ये दर्रे कभी स्थानीय व्यापारियों और तिब्बतियों के बीच व्यापार के लिए उपयोग में लाए जाते थे। वर्तमान में ये दर्रे सीमित सैन्य उपयोग और सीमावर्ती निगरानी के लिए जाने जाते हैं।
दर्रों का ऐतिहासिक महत्त्व sarkari tricks.com
इन दर्रों ने भारत और तिब्बत के बीच न केवल व्यापार और तीर्थयात्रा का मार्ग प्रदान किया, बल्कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी संभव बनाया। बौद्ध धर्म, तिब्बती स्थापत्य, और हिमालयी लोक जीवन में तिब्बती प्रभाव देखने को मिलता है। यहां की जनजातियाँ, जैसे कि भोटिया, जो मुनस्यारी और धारचूला क्षेत्रों में निवास करती हैं, तिब्बतियों के साथ सांस्कृतिक रूप से जुड़ी रही हैं।
वर्तमान सामरिक और राजनयिक महत्त्व
इन दर्रों की सामरिक महत्ता को देखते हुए भारतीय सेना और आईटीबीपी की यहाँ विशेष तैनाती रहती है। चीन के साथ सीमा विवाद और बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत ने इन दर्रों के पास सड़कों और चौकियों का निर्माण तेज कर दिया है। लिपुलेख दर्रे तक सड़क मार्ग निर्माण से न केवल तीर्थयात्रा में सुविधा हुई है, बल्कि भारत की सीमाओं की निगरानी और सुरक्षा क्षमता भी बढ़ी है।
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हम आपके लिए ऐसी TRICKS लाये है जिस से आप भारत के पिथौरागढ़ व तिब्बत के बीच दर्रे को जिंदगी में कभी भी भूल पायेगे।
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